Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

गर्मी का मोसम- बेचेनी ओर मुश्किल का हल?

 गर्मी की शुरुआत हो रही है। चिकित्सक  इन दिनों में खानपान पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं, ओर हमें ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थो का सेवन करने को कहते हैं। वजह ये है, कि गर्मी के दिनों में खूब पसीना निकलता है। इसके साथ ही शरीर से जरूरी मिनरल और साल्ट भी निकल जाते हैं। डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) न हो, इस लिए डाक्टर ज्यादा से ज्यादा पानी और पेय पदार्थ लेने की सलाह देते हैं। तो इन गर्मियों में आप और आपका परिवार इन समस्याओं से दुखी न हों गर्मी के साथियो के बारे में जानने का समय हे। इनका सेवन कर आप स्वस्थ बने रह सकते हें। 
   महर्षि चरक ने चरक संहिता में "ग्रीष्म ऋतु-चर्या" अर्थात गर्मी की मोसम में केसे स्वस्थ रहा जाए वर्णन किया है। उनके अनुसार इस काल[समय] में मधुर रस [मीठा तरल],तथा शीत वीर्य [ठंडी तासीर] वाले द्रव्य[पदार्थ] , द्रव [तरल], तथा स्निग्ध [चिकनाई वाले] ,अन्न आदि, चीनी[शकर] के साथ मंथ [मथा हुआ दूध , दही, लस्सी सत्तू, आदि], चावल, ओर मांस रस[शोरबा],  [जो की तत्कालीन समय,या आज से लगभग 2000 से भी अधिक वर्ष पूर्व के समय उपलब्ध इस प्रकार के खाध्य, ओर पेय] खाने पीने की सलाह दी थी। 
  साथ ही शीतल कुटिया में झरने, वृक्षों, लताओं के बीच, चंदन,फूल मालाओं, के साथ, रहने ओर मद्य[मदिरा-शराव], से दूर रहने का परामर्श दिया है। 
  वर्तमान स्थितियों ओर उपलब्धता के अनुसार ठंडे स्थानो में रहना ठंडे समय में ही आने-जाने अथवा आवश्यक हो तो सूर्य की तेज गर्मी से बचाव रखते हुए अपने जीवन के क्रिया कलाप जारी रखने से स्वस्थ रहा जा सकता है। इसी प्रकार गर्मी से लगातार कम होने वाले शरीर का जलीयांश[पानी], की सतत पूर्ति करते हुए अधिक केलोरी देने वाले मीठे घी युक्त ओर आसानी से पच जाने वाले खाद्य पदार्थ को खाते-पीते रहना चाहिए। 
 यहाँ यह भी समझना होगा की चाट पकोड़ी, मिर्च मसाले, ओर तेल में तली गई[फ्राई] खाना हानि कारक होगा। इस प्रकार के खाने से पित्त बढ़ता हे, इससे अपच हो जाती हे, इस अपच को शरीर से बाहर निकालने का प्रयत्न जब शरीर करता है, तो मल-मूत्र ओर पसीने के साथ महत्व पूर्ण शरीर का सोडियम युक्त जलीयांश भी निकल जाता हे, पानी की कमी [डिहाईड्रेशन] से इससे अधिक गर्मी ओर बेचेनी होने लगती हे। ओर हम ग्रीष्म ऋतु में होने वाले रोगों की चपेट में आ जाते हें। बर्फ गोला या बरफ[Ice] मिलाकर खाना, अधिक ठंडा [चिल्ड] भी बहुत हानि करता है । 
कुछ लोग विशेषकर नवजवान अहंकार वश यह कह कर की हम अधिक पानी जूस आदि लेकर इसकी पूर्ति कर सकते हें इसलिए इन मिर्च-मसाले वाले आनंद को छोड़ेगे नहीं। पर दोस्तो इतने छोटे से मजे के लिए बड़े कष्ट को निमंत्रित  करना क्या बुद्धिमानी है। यह तो घर जला कर दिवाली मनाने जेसा आनंद क्या नहीं? इनका आनंद शीत ऋतु में जब पाचन अच्छा रहता है, के लिए छोड़ना चाहिए। कभी कभार केवल थोड़े से प्रसाद की तरह, वह भी  यदि पूर्ण स्वस्थ हों तो खाने में हानि नहीं। 
वर्तमान में गर्मी से बचने हेतु निम्न वस्तुओं का आनंद लेकर ग्रीष्म ऋतु का मुकावला किया जा सकता है। 
  1.  ठंडाई--  पोस्ता दाना, कालीमिर्च, खरबूजे ओर ककड़ी के बीज,आदि से बनी गर्मी को दूर भगाने के लिए आप ठंडाई पी सकते हैं। भरी धूप में चलकर आने वाले मेहमानों का स्वागत भी चाय से न करके ठंडाई से करें, तो क्या कहने! इन दिनों बाजार में बने बनाए फ्लेवरों में ठंडाई उपलब्ध है। बस, जरूरत है दूध और शक्कर की। गिलास भर दूध में मिलाएं दो चम्मच ठंडाई और दो चम्मच चीनी। फिर मस्त हो पीएं और पिलाएं!   [चीनी - 5 कप / पानी - 2 1/2 कप) /बादाम - 1/2 कप से थोड़े अधिक /सोंफ - 1/2 कप / काली मिर्च - 2 छोटी चम्मच /खसखस - 1/2 कप /खरबूजे के बीज -1/2 कप /छोटी इलाइची - 30 - 35 (छील कर बीज निकाल लीजिये)/गुलाब जल - 2 टेबल स्पून (यदि आप चाहें)या गुलाब के फूल । बनाने की विधि [निशा मधुलिका से सभार ]- सोंफ, कालीमिर्च, बादाम, खरबूजे के बीज, इलाइची के दाने और खसखस को साफ कीजिये और धो कर पानी में अलग अलग घंटे के लिये भिगो दीजिये (रात भर भी भिगोया जा सकता है)। सभी चीजों से अतिरिक्त पानी निकाल दीजिये. बादाम को छील कर छिलका अलग कर दीजिये। सभी चीजों को बारीक पीस लीजिये. इन चीजों को पीसने के लिये पानी की जगह चीनी के घोल का प्रयोग करिये। किसी बर्तन में चीनी और पानी मिलाइये और उबाल आने के बाद 5 -6 मिनिट तक उबालिये और ठंडा कर लीजिये, चीनी का घोल बन कर तैयार हो गया। बारीक पिसे मिश्रण को चीनी के घोल में मिलाइये और छान लीजिये. बचे हुये मोटे मिश्रण में घोल मिला कर फिर से बारीक होने तक पीस कर छान लीजिये। ]
  2.  अमरस या मैंगों शेक -    फलों का राजा आम गर्मियों में ही होता है। दूध के साथ इसे मिक्सी में मेश करें। ऊपर से स्वादानुसार चीनी या शहद डाल लें। बस बन गया मैंगो शेक! गर्मियों में रोजाना इसका सेवन करें।
  3. पना या कच्चे आम का शर्वत-- इसके स्वाद ओर लाभ का कोई जवाव नहीं अतिथि सत्कार में इसे पेश करना मानो ग्रीष्म ऋतु के मारे को अमृत पिलाने जसा होता हे। बनाना भी आसान हे । बस कच्चे आम को पानी में पकाए, ठंडा कर मसलकर गुठली छिलका हटा कर मिक्सर में मथ कर छान लें, शक़्कर चुटकी भर नमक, ओर पिसा जीरा मिला कर पीयेँ ओर पिलाएँ ओर गर्मी, लू लगना[सन स्ट्रोक] पानी की कमी आदि से स्वयं ओर परिवार सहित मित्रों को बचाएं।

  आम का पना- घर पर पहिले से तैयार कर स्टोर करें। 

 कच्चे आम 1 केजी +शकर या गुड 1/2 केजी, (या दोनों आधे आधे,)  शेष स्वादानुसार - कच्चे आम को पानी में पकाए, ठंडा कर मसलकर गुठली छिलका हटा कर मिक्सर में मथ कर छान लें, शक़्कर  नमक, ओर पिसा जीरा मिला कर छान लें ।  पुनः गाढा होने तक पकाए। बोटेल में भरकर रख दें। यह अधिक दिन तक खराब नहीं होगा। बोटेल फ्रिज में भी रखी जा सकती हे। मेहमान आने पर केवल इसमे ठंडा पानी मिलाये ओर सर्व करें।
  1. नींबू पानी - नींबू पानी भारत का पारंपरिक पेय पदार्थ है। गर्मी के दिनों में सुबह उठते ही नींबू पानी का सेवन करें। इसे बनाने के लिए एक ग्लास पानी में एक नींबू, चीनी (स्वादानुसार) और काला नमक मिला लें। इसे रोज पीने से लू नहीं लगती।
  2.   मसाला छाछ ओर लस्सी -- गर्मियों में छाछ  का सेवन खाने के साथ नियमित रूप से करें। यह भोजन को पचाने में मदद करता है।  दही Curd  खाना इस ऋतु में हानि कारक है, पर मथ कर बनाई लस्सी लाभद्यक हे। पर बर्फ का प्रयोग कभी न करें। ठंडा करने के लिए बरफ या फ्रिज में रखा जा सकता हे, पर अधिक ठंडा हानी कारक ओर प्यास बढ्ने वाला होता है। 
  3.  पानी वाले फल, सब्जियां --- गर्मी के दिनों में ऐसे ढेर सारे फल और सब्जियां बाजार में उपलब्ध होते हैं जिनमें प्रचुर मात्रा में पानी होता है। इनमें तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, संतरा, मोसम्बी, आदि प्रमुख हैं। गर्मियों में इनका ओर इनके रस का जमकर सेवन जरूर करें।
  4.  सत्तू एक इंसटेंट नाश्ता भारतीय फास्ट फूड -- सत्तू सर्व श्रेष्ट..  चरक संहिता में इसका वर्णन किया गया है।  गर्मी के दिनों में नाश्ते में सत्तू बेहद लाभकारी है। इसे 'स्टमक कूलेंट' भी कह सकते हैं। वजह है कि यह पेट की गर्मी को शांत करता है। यूं तो बाजार में बने बनाए पैकेटों में सत्तू  उपलब्ध होता है। लेकिन आप सत्तू [बनाने की विधि] खुद भी बना सकते हैं। इसके लिए जौ, चना और गेहूं को सेक कर बराबर या न्यूनाधिक मात्रा में पिसवा लें। इसे पानी में मिलाकर पीएं। स्वाद के लिए आप इसमें नमक या शक्कर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
========================================================================

समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

कोई टिप्पणी नहीं:

आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "