Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Erectile Dysfunctioning of male sex organ is not Impotence.(ध्वज-भंग होना नपुंसकता नहीं)

पुरुषों में  ध्वज-भंग होना नपुंसकता नहीं होती.  
Erectile Dysfunctioning is not Impotence.
नपुंसकता का अर्थ सामान्यत: लिंग में उत्तेजना में कमी (loss of erection ध्वज-भंग) माना जाता है| परन्तु वास्तव में यह सच नहीं है, नपुंसकता का अर्थ है, प्रजनन क्षमता का अभाव
स्पष्ट रूप से समझ लें की जो ध्वज-भंग (loss of erection) के कारण सेक्स में असमर्थ होते हें, वे भी प्रजनन कर सन्तान उत्पन्न कर सकते हें, इसलिए वे नपुंसक नहीं होते, उनकी इस कमी को दूर किया जा सकता है|
ध्वज भंग और नपुंसकता के कारण- ध्वज भंग (loss of erection) जिसे नपुंसकता समझा जाता है के इन कारणों को जानने से हम इसकी चिकित्सा कर पाएंगे|
संक्षेप में समझ लें की, यदि कोई व्यक्ति किसी भी कारण
से नर्वस (nervous), तनाव में हो, शराब पिए हुए हो, उसका वजन अधिक हो, धूम्रपान करता हो, कुछ दवाएं खाई हों, कुछ मधुमेह जैसे रोग हों, या टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी हो, तो उसका ध्वज भंग (loss of erection) हो सकता है| 
अनुभव में आया है की नपुंसकता के जितने रोगी चिकित्सकों के पास आते हें उनमें से आधे से अधिक ध्वज भंग (loss of erection) होने पर ही वे स्वयं को नपुंसक समझने लगते हें| यही नपुंसकता का मनोवेज्ञानिक कारण होता है|  शेष के पीछे कोई स्वास्थ्य विषयक कारण हो सकता है| 

मनो वैज्ञानिक कारणों पर हम पहिले विचार करेंगे|
वर्त्तमान में बढ़ने वाले सेक्स अपराध का कारण भी यही है|
पुरुष स्त्री दोनों में इस हारमोन का सीधा सम्बन्ध यौन क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के आकार में वृद्धि, शरीर को सुगठित (Compact or tight) बनाने होने के साथ उनकी एकाग्रता, मूड और स्मरण शक्ति से भी होता है|
इसी हरमोंन की कमी/अधिकता आदि कारण से युवा हो रहे बच्चे (लड़के लड़की दोनों) अक्सर चिड़चिड़े, गुस्सेवाला व्यवहार भी करने लगते हें|
वयस्कों में (35 वर्ष के आस-पास) भी इसकी कमी भी उन्हें चिड़चिड़ा, क्रोधी, तनाव से भरा हुआ बनाती है|
वर्तमान के आर्थिक दबाव, व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता, महंगाई, सामाजिक समस्याओं, पोषक आहार की कमी, आदि कारणों से भी अक्सर पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन नामक इस हार्मोन के प्राकृतिक स्तर में कमी से, स्तंभन शक्ति (Erection strength) में कमी, जैसी समस्याएं पैदा होने लगती है|
वर्तमान समय में अक्सर वयस्क आयु में युवाओं का अधिकांश समय, प्राक्रतिक प्रेम पूर्ण दाम्पत्य संबंधों से हटकर, नोकरी, व्यवसाय, वेतन आदि आजीविका सम्बंधित आर्थिक समस्याओं के कारण प्रभावित होता है| ये समस्याएं उनके टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में परिवर्तन लातीं है, इससे उनका सम्पूर्ण योंन जीवन प्रभावित होने लग सकता है|
इस समस्या ग्रस्त जीवन में या देरी से हुए विवाह के बाद कभी योंन संबध बनता भी है, तो पूर्ण समर्पण या शांति से नहीं, केवल क्षणिक उत्तेजना के कारण, इससे वह न चाहते हुए भी अनायास ही ध्वज-भंग (loss of erection) का शिकार होता है, इससे धीरे धीरे वह नपुंसकता की और बढ़ता चला जाता है|
इस प्रकार आजीविका, आर्थिक, पारिवारिक समस्या, पोषण की कमी आदि से, होने वाले हारमोन की कमी से युवा का ध्वज भंग होता है, तब अक्सर वह ग्लानी से भर उठता है, अक्सर उसका पार्टनर भी इसके लिए उलाहना देता है, इससे वह स्वभाविक मानसिक शक्ति खो बेठता है, क्रोध, आक्रोश, हिंसा अक्सर इस आयु में इन्ही कारणों से होती है, पर प्रत्यक्ष में इस बात को कोई नहीं बताता|
लगतार होने पर वह ध्वज भंग का शिकार हो, कुंठा ग्रस्त होकर हस्त मैथुन और कोई नशा या शराब सेवन, धूम्रपान आदि आदि की आदत बनाकर धीरे धीरे नपुंसकता की और बढता चला जाता है|  कुछ युवा सेक्स वर्कर से अथवा अनापेक्षित संबध बना कर कई योन रोगों और अव्यवहारिक आदतों के शिकार होकर नपुंसक हो सकते हें|
अक्सर कई ऐसे लोग ही अवयस्क बच्चों से सेक्स अपराध भी करने लगते हें|   
कई युवा एसी अवस्था में चिड़चिड़े, क्रोधी होने लगते हें, वे मार-पीट शक्ति प्रदर्शित कर पार्टनर को दबाना चाहते हें, इससे पारिवारिक संघर्ष की शुरुवात हो जाती है, जो तलाक, अलगाव, हिंसा तक पहुँच जाती है| प्रत्यक्ष जानकारी में कोई भी पक्ष इस कमी को दूसरे को बताता ही नहीं| यदि आपसी तालमेल बनाकर कमियां बता दें तो एक दूसरे के सहयोग से एसे पारिवारिक अंत से बचा कर जीवन भर प्रसन्न रहा जा सकता है|
यह मानसिक अवस्था जन्य तनाव व्यक्ति को मधुमेह , थाइराइड, किडनी, ह्रदय आदि रोग के द्वार भी खोल ही देता है, या इसका अंत भी व्यक्ति को पूर्ण नपुंसकता तक चला जाता है|
सेक्स हारमोन (टेस्टोस्टेरोन) की स्थिति - लगभग 12- से 15 वर्ष की आयु से टेस्टोस्ट्रोन नामक हार्मोन युवको में अंडकोष से व युवतियों में में अंडाशय[1] से बनने लगता है, इससे योवन के लक्षण का विकास होता है,  उनकी आवाज, शरीर, में परिवर्तन आने लगता है, कई जगह जैसे. गुप्तान्गो के आसपास बाल (प्युविक), युवकों में दाड़ी-मूंछ आने लगती है|  इस हारमोन की सहायता से वीर्य (स्पर्म) बनाने लगता है और लिंग में उत्तेजना का प्रारम्भ होता है वहीँ स्त्रियों में इससे हड्डियों में ताकत, मांसपेशी की मजबूती एवं कामेच्छा जगाने का काम करता है|   
भ्रामक विज्ञापनों के धोखे में न आयें-
अधिकांश मामलों में कोई भी युवा किसी दूसरे से यहाँ तक की चिकित्सक/ मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेने में शर्म करता है, और भ्रामक और अश्लील सीमा तक के बात, सम्वाद, विज्ञापन, देने वाले कथित डाक्टरों या मित्रों की सलाह से दवाओं का सेवन करता है, जो उसे अंत में पूर्ण नपुंसक बना देती है|
अच्छी तरह से समझ लें की ध्वज भंग (loss of erection) होना नपुंसकता नहीं होती, यह केवल आत्म विश्वास खो देने से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक समस्या भर हो सकती है|
इसके होने पर सबसे पाहिले आत्म विश्वास बढाना चाहिए, असफल होने पर आप कुशल चिकित्सक से परामर्श करें, बिना कुशल चिकित्सक परामर्श के किसी भी प्रकार की नपुंसकता दूर करने वाली या विज्ञापन वाली दवाएं न खाए, किसी भी परिस्थिति में चिकित्सक सलाह बिना कृत्रिम टेस्टोस्ट्रोन हार्मोन की गोली इंजे. भी नहीं लें, और विज्ञापन देने वाले सेक्स डाक्टरों से स्वयं को बचाए रखें अन्यथा अंत में धन और शरीर हानि उठानी होगी| ऐसे सेक्स डाक्टर अधिकतर अति उत्तेजक, और मस्तिष्क को भ्रम का शिकार बनाने वाली दवाये देते हैं, जिससे कुछ समय के लिए उत्तेजना मिलती है, असर ख़त्म होने पर पूर्व से भी ख़राब स्थिति होने लगती है, इससे वह बार बार एसी दवाये खरीद कर लेता है, जो धीरे धीरे उसे एडिक्ट बनाकर अंत में नपुंसक बना देतीं है|     
कोई रोग भी हो सकता है कारण?
इन मनोवैज्ञानिक कारणों के अलावा मधुमेह (Diabetes) जैसे रोग भी इस ध्वज भंग और नपुंसकता का कारण होते हें, अत: अपनी जीवन चर्या प्रारम्भ से संतुलित रख इस प्रकार के रोगों चाहिए|
फिर क्या करें?
जिन्हें अभी यह समस्या नहीं है उन युवाओं को चाहिए, की वे इन बातों को ध्यान से पड़े, उन्हें चाहिए की तुरंत नशा, धूम्रपान, और तनाव के कारणों, व्यर्थ उत्तेजना, बेहिसाब और बेमतलब सेक्स, सेक्सी वातावरण, उत्तेजक पुस्तकें, फिल्म, ब्लू फिल्म, से बचकर रहें, योग, व्यायाम, स्वस्थ्य आहार, व्यर्थ तनाव से बचकर, मधुमेह जैसे रोगों को पास न आने दें |
और --  -
जो किसी भी कारण से इस कथित नपुंसकता या ध्वज भंग (loss of erection) के शिकार हो गए हें, इस कुटेव समस्या को समझें, और अपनी आदत में अनजाने शामिल हुए दोषों को आज ही दूर कर दें, और नियमित व्यायाम, योगा, ध्यान (Meditation), स्वस्थ भोजन, अच्छी दिनचर्या, का पालन शुरू कर दें, अनावश्यक उत्तेजना, हस्त मैथुन, संसर्ग (सेक्स) बंद कर, कुछ माह सदाचारी और ब्रह्मचारी की तरह जीवन बिताएं, इससे तनाव कम होने से कुछ ही दिनों में आपके टेस्टोस्ट्रोन नामक हार्मोन का स्तर सुधरने लगेगा और आप रोग से मुक्त अनुभव करने लगेगें, और कुछ ही दिनों में वे फिर पूर्व जैसे सक्षम बन जायेंगे| 
पंचकर्म है ध्वज भंग/ नपुंसकता/ की पूर्ण और सफल चिकित्सा!
यदि आप इन सबको अपनाने बाद भी सक्षम नहीं होते तो आप आयुर्वेदीय पंचकर्म (वमन-विरेचन-बस्ती आदि) द्वारा शरीर को शोधन कर रसायन वाजीकरण चिकित्सा लेने पर पुन: युवा की तरह सक्रिय बन जायेंगे|
यही शोधन चिकित्सा युवतियों के ठंडेपन जैसे व्यवहार को भी दूर कर देती है, और नवीन उत्साह उत्पन्न करती है| 


[1] - चकित न हों! पुरुष सेक्स हरमोंन टेस्टोस्टेरोन स्त्रियों में भी बनता है|  यह स्त्रियों में हड्डियों में ताकत, मांसपेशी की मजबूती एवं कामेच्छा जगाने का काम करता है| हरमोंन अधिकता वाली स्त्रियाँ पुरुष प्रधान गुण वालीं हो सकतीं है|  
पंचकर्म के लिए हमारे वात्सल्य पंचकर्म केंद्र से संपर्क करें| 
फोन पर सलाह नहीं दी जाती| 
चिकित्सा विषयक जानकारी इस साईट पर उपलब्ध है| 
समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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