Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

How to make Chyawanprash (घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका),


वर्तमान में च्यवनप्राश सबसे अधिक बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पादन  है, और सबसे अधिक गुणकारी भी,बाज़ार में मिलने वाला च्यवनप्राश स्वादिष्ट तो होता हे पर पूर्ण  लाभकारी नहीं होता क्योकि वास्तविक च्यवनप्राश अधिक स्वादिष्ट नहीं होताअधिक स्वादिष्ट करने के लिए इसमें अधिक शक्कर आदि पदार्थ मिला दिए जाते हें|  शास्त्रोक्त च्यवन प्राश की तुलना में हमने वर्तमान के मान से शक्कर तीन गुना अधिक कर दी है। साथ ही कुछ एसी ओषधियाँ जो आजकल मिलती ही नहीं के स्थान पर प्रतिनिधि ओषधि सम्मलित की है।  
असली च्यवन प्राश क्या है?  जानने के लिए लिंक 
 प्रस्तुत है घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका
 How  to  make  chyavanprash  
Chyawanprash Ingredients -आवश्यक सामग्री
च्यवनप्राश (Chawanprash) में मुख्य सामग्री आवंला सहित निम्न  प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है. ये अधिकतर इस तरह की दवायें बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है. च्यवनप्राश (Chywanprash) को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश (Chyawanprash) बना सकते हैं|  इनमें निम्न पांच तरह की सामग्री प्रयोग होती है|
Chyawanprash Ingredients . सामग्री .
  • आवंला - 5 किलो
  • घी 250 ग्राम
  • तिल का तेल-250 ग्राम
  • चीनी - तीन किलो [A] (या इससे भी अधिक देखें फूट नोट)
निम्न प्रत्येक औषधि 50-50 ग्राम].
  • पाटला छालअरणी छालगंभारी छालविल्व छालश्योनक छाल ( अरलु),
  • गोखरूशालपर्णीप्रष्टपर्णीछोटी कटेलीबड़ी कटेली- (इनका पंचांग [B] See Foot Note)|
  • पीपलकाकड़ासिंघीमुनक्कागिलोयहरडखरेंटीभूमिआवलाअडूसाजीवन्तीकचूर,नागरमोथापुष्करमुलकोआठाडीमुंगपर्णीमाषपर्णीविदारीकंदसांठीकमलगट्टाछोटी-ईलायचीअगरचन्दन
  • अष्टवर्ग [C] (ॠद्धिवृधिमेदामहामेदाजीवक,  ॠषभककाकोली, क्षीरकाकोली)
नोट :-(जड़ी बूटी भंडार या बेचने वाले अत्तार या पंसारी आदि के पास आराम से मिल जातीं है| जो जो पेड़-पोधो से ताज़ी प्राप्त कर सके वे और भी श्रेष्ट है पर ताज़ी की मात्रा चार गुनी लेने होगी|  च्यवनप्राश (Chywanprash), को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले, तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश (Chyawanprash) बना सकते हैं|) 
Chyawanprash Ingredients प्रेक्षप सामग्री (अंत में डालने वाली ओषधि)
इन सबका बारीक चूर्ण बनाना है- पिप्पली - 100 ग्रामबंशलोचन - 150 ग्रामदालचीनी - 50 ग्रामतेजपत्र - 20 ग्रामनागकेशर - 20 ग्रामछोटी इलायची - 20 ग्रामकेशर - 2 ग्राम|
 शहद - 250 ग्राम.
बनाने की विधि - How to make Chyawanprash
स्टेप 1- आवले को धो लीजिये. धुले आंवले को कपड़े की पोटली में बांध लें| 
स्टेप- 2- किसी बड़े स्टील के तपेले (भगोने) में 12 लीटर पानी भरिये. 50 -50 ग्राम ली गई सभी ३९ जड़ी बूटियों को मोटा-मोटा जो कुट, कुट कर डालें|
 आंवले को कपडे की पोटली में बांध कर डाल दीजिये. तपेले को तेज आग पर रखियेउबाल आने पर  आग धीमी कर दीजिये|
आंवले और जड़ी बूटियों को धीमी आग पर एक से डेड़ घंटे तक उबलने दीजियेजब आंवले बिलकुल नरम हो जायें, तब आग बन्द कर दीजिये. इसे रात भर (10 -12 घंटे) ढककर रख दीजिये|
स्टेप 3- अब आंवले की पोटली निकाल कर जड़ी बूटियों से अलग कीजियेआप देखेंगे कि आंवले सांवले हो गये हैंआंवलों ने जड़ी बूटियों का रस अपने अन्दर तक सोख लिया है|
सारे आंवले पर से गुठली निकाल कर अलग कर लीजिये|
स्टेप 4 - जड़ी बूटियां के काडे ( क्वाथ या उबला पानी) को खादी के कपडे या इसी जैसी बारीक छलनी से छान कर अलग कर दीजियेइस छाने जड़ी बूटियों के काडे को सुरक्षित कर रख लीजिये, यह भी च्यवनप्राश बनाने के काम आयेगा|
स्टेप 5- उबाले हुये गुठली रहित आंवलों कोजड़ी बूटियों से निकला थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर मिक्सर से एकदम बारीक पीस लीजिये|
खादी के कपडे या बारीक छ्लनी में डालकरहथेली या चमचे से दबा दबा कर रगड़ते हुए छान लें, इससे रेशे अलग हो जायेंगे जो फेंक दिए जाते हें|
इस प्रकार सारा आंवलों का गूदा (पल्प) बना लें| इसीमें शेष जड़ी बूटी से छाना हुआ काडा (क्वाथ) मिला दें. जड़ी बूटियों के रस और आवंले के पल्प के मिश्रण को हम च्यवनप्राश बनाने के काम लेंगे|
 स्टेप 6- मोटे तले की कढ़ाई कलाई वाली पीतल की हो तो ठीक स्टील की कड़ाई में चिपक कर जल जाने का खतरा होता है| जिसमें पल्प आसानी से भूना जा सकेआग पर गरम करने के लिये रखिये| (लोहे का बर्तन च्यवनप्राश को काला कर देता है|)
स्टेप 7-  कढ़ाई में तिल का तेल डाल कर गरम कीजियेगरम तेल में घी डाल कर घी पिघलने तक गरम कीजिये|
जब तिल का तेल अच्छी तरह गरम हो जाय, तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिये और खुरचे / चमचे से चलाते हुये मंद आंच पर पकाइये, इतना पकाना है, की घी तैल अलग से दिखने लगे, और आवंला पल्प जले नहीं, और न बर्तन में चिपक पाए|  
अब इस पल्प में चीनी डालिये और लगातार चमचे से चलाते हुये मिश्रण को एकदम गाड़ा, होने तक और घी छोड़ने तकपका लीजिये, सावधानी रखें की पल्प चिपकने न पाए, अन्यथा जलने से रंग काला और ख़राब हो जायेगा| पूरा न पकने पर पतला रह सकता है अधिक पकने पर अधिक गाढ़ा होने से खाना मुश्किल होगा| यद् रखें की ठंडा होने पर कुछ अधिक गाढ़ा होता है| पहली बार कम बनाये ताकि अनुभव मिल सके|
स्टेप 8 - पूर्ण पाक हो जाने पर प्रेक्षप द्रव्य में दी गई लिस्ट के द्रव्य (छोटी इलायची के दानो में पिप्पलीबंशलोचनदालचीनीतेजपातनागकेशर के साथ एकदम बारीक पीस कर मिला दें| अच्छी तरह से मिल जाने पर, इस मिश्रण को 5-6 घंटे तक कढ़ाई में ही,भाप निकलते रहे इस प्रकार से ढककर रख दें| (पीतल के बर्तन में न रखे)|
स्टेप 9  अब इसमें शहद और केसर में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दीजिये. आपका च्यवनप्राश (Homemade Chyawanprash)[D] तैयार है|
इस च्यवनप्राश (chywanaprash) को एअर टाइट कांच या प्लास्टिक कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और साल भर प्रयोग कीजिये|
बाज़ार के  विज्ञापन में सोने व् चाँदी की बात की जाती हैये यह मूल च्यवनप्राश में नही होता हैइनकी भस्मे मिली जाती हेंयदि मिलाना हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह करके ही मिलाये|
उपयोग मात्रा और विधि[E]
 - खाली पेट १० से १५ ग्राम खाकर आधे घंटे बाद दूध पिएभोजन के तुरंत बाद नहीं लेना चाहिए, तीन से चार घंटे बाद लिया जा सकता है|


Foot Notes [A]  [शास्त्रोक्त च्यवनप्राश में शक्कर इसकी आधी होती है, पर उसे खा सकना मुश्किल होता है, बाज़ार के व्यावसायिक च्यवन प्राश में इससे भी दुगनी या अधिक शुगर मिलकर उसका खट्टापन दूर किया जाता है, और वह अधिक स्वादिष्ट बनता है, आप भी यदि बच्चो के लिए बना रहे हें तो एसा कर सकते हें, निश्चित ही असर भी कम ही होगा|} 
[B] अर्थात जड़ समेत पूरा पोधा)
[C] अष्टवर्ग की ओषधि वेद कालीन है वर्तमान में नाम विवाद से नहीं मिलने पर उनके स्थान पर (प्रतिनिधि द्रव्य के रूप में) खरेंटीपंजासालबशकाकुल छोटीशकाकुल बड़ीलम्बासालबकाली मुसलीसफ़ेद मुसलीऔर सफेद बहमन लिए जा सकते हें ये उनके सामान गुणकारी और आसानी से उपलब्ध है|
[D] बाज़ार के च्यवनप्राश को अधिक दिन ठीक रखने प्रिजर्वेटिव {2% तक सोडियम मेटा बेन्जोएट} मिलाये जाते हेंपर ये हानी कारक हो सकते हेंयदि च्यवनप्राश अच्छी तरह से पक़ गया हो, तो कभी ख़राब नहीं हो सकता| पर अधिक  पकने पर चिठा हो सकता है|  फ्रिज में भी सुरक्षित रखा जा सकता हैपर उपयोग के पूर्व सामान्य ताप पर लाना होगा|  
[E] एसिडिटी के रोगी न खाए | एसिडिटी बड जाएगी| पहले जुलाब लेकर पेट साफ करना अधिक लाभ देगा|
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "