Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

चमत्कारिक संजीवनी बूटी? - दशांग लेप!

चमत्कारिक संजीवनी बूटी? - दशांग लेप!
A Wondrous & Miraculous, Life saving herbal Medicine? - Dashang Lep,[coat]. 
  मेरे पिछले लगभग 50 वर्षीय चिकित्सकीय जीवन काल में आयुर्वेद के कई योगों ने आत्यधिक प्रभावित किया उनमें से एक है, दशांग लेप| 
 
  निम्न दस जडी-बुटीओं को केवल बारीक़ पीसने (कपड छन) से यह तैयार हो जाता है, अथवा आयुर्वेदिक दवा विक्रेताओं के यहाँ आसानी से मिल जाता है|  
  1. सिरस छाल  (Albizia lebbeck)- 
  2. मुलेठी  Yashti  (Glycyrrhiza glabra)  
  3. तगर  Nata  (Valeriana wallichi)
  4. लाल चंदन  Chandana (Santalum album)
  5. इलायची  Ela  (Elettaria cardamomum
  6. जटामांसी  Jatamansi  (Nardostachys jatamansi)
  7. हल्दी  Haridra  (Curcuma longa)
  8. दारू हल्दी  Daru Haridra (Berberis aristata)
  9. कुष्ठ (कूठ)  Kushta (Saussurea lappa)
  10. खस  Hrivera (Pavonia odorata)
"दशांग लेप" आयुर्वेदिक् चमत्कारिक ओषधि योग
साधारण सी जड़ी बूटी से आसानी से बन जाने वाले आयुर्वेद के कई योगों को चमत्कारिक योगों के रूप में जाना जाता रहा है। यह दशांग लेप भी उनमें से एक है। जिन्होंने एक बार भी इसका प्रयोग किया वह प्रभावित हुए विना न रहा।
दशांग लेप चोट खाए, घायल ज्वर, और चर्म रोग पीड़ित के लिए "संजीवनी" जैसा ही है| 
  भेषज्य -रत्नावली में एक श्लोक वर्णित है-
  शिरीषयष्टीनतचन्दनैलामांसीहरिद्राद्वयकुष्ठवालै:।
लेपो दशांग: सघृत: प्रयोज्यो विसर्पकुष्ठज्वरशोथहारी||
॥च.द.||
   इसके अनुसार इसकी वर्णित 10 ओषधियां (जड़ी बूटी) जिन्हें अधिकांश भारतीय सब अच्छी तरह से जानते हें, और इन सबका प्रयोग हम सब के द्वारा, सोंदर्य प्रसाधन, उबटन, तेल, के साथ रसोई घर, या देनिक जीवन में किसी न किसी अंश में किया जा रहा है| यही नहीं इनके घटकों, घनसत्वों, या उनसे निर्मित तैल, क्रीम आदि सुन्दरता बढाने वाले सोंदर्य प्रसाधन (कस्मोटीक्स) ने बाज़ार में धूम मचा रखी है| इसके साधारण घटकों के बल पर दवा निर्माता कंपनी खरबों रूपये का व्यापार कर रहीं है| 
  इस श्लोक में विसर्प, कुष्ट, ज्वर, और शोथ यह चार रोग नाम लिखकर इसमें, सभी चर्म रोग, ज्वर (एसे रोग जिनमे शरीर का ताप बढता हो) और, शोथ या सूजन आती है, इसके माध्यम से ठीक होने की बात कह दी गई है| 
   जिनने भी आयुर्वेद को समझा है, और उसके सिधान्तो से वाकिफ है, वे इस सक्षिप्त श्लोक का गहन अर्थ निकालकर न केवल जनहित कर रहे हें, वरन यश और धन भी अर्जित कर रहें हें| आप भी देखे -  दशांग लेप के चमत्कारिक प्रयोग- 
1.    अचानक चोट लग गई है, या मौच आ गई है,
आपको ज्ञात नहीं है शायद हड्डी टूट गई हो? डॉक्टर के पास जाने से पाहिले ही लेप को दो चार बूंद घी या तेल और थोडा पानी मिलाकर हलवे की तरह हलका पकाएं और चोट के स्थान पर बांध दें,  थोड़ी देर में दर्द मिट जायेगा, यदि हड्डी न टूटी हो तो दिन में दो बार प्रात सायं एसे ही लेप बना-बना कर बांधते रहें, किसी भी दवा या लेप अदि से अधिक लाभ मिलेगा|    यदि चोट के साथ त्वचा(स्किन) फटने से खून भी आ गया हो तो घबराने की बात नहीं इसका लेप इन्फेक्शन नहीं होने देगा घाव जल्दी भरेगा, और सूजन भी अधिक जल्दी मिट जाएगा| अजमाकर देखे|      हड्डी टूट जाने पर भी उसको ठीक से जोड़ पर बिठाकर लेप की पट्टी बांधते रहने से दर्द भी नहीं रहेगा और हड्डी भी जल्दी जुड़ जाएगी| इसमें यह सावधानी आवश्यक है की यदि हड्डी सही जोड़ पर नहीं बेठी तो वैसी ही जुड़ जाती है, इससे हो सकता है टेडा पन रह जाये, इसलिए एक्स रे द्वरा सुनिश्चित करना चाहिए और अस्थि विशेषज्ञ से राय लेनी चाहिए|  
 चोट लगी है खून निकल रहा है दशांग का लेप लगायें (उपरी विधि से थोडा अधिक घी मिलाकर ताकि लेप सूखे नहीं) और कपडे पर रखकर पट्टी बांधे,  खून बहना बंद हो जायेगा, रोज बांधते रहने से घाव भी जल्दी भरेगा|
2.    संधि वात या आमवात आदि, वात रोग से जोड़ों में सूजन और दर्द हो तो भी लेप में 5%तक कोई वात शामक तेल[ नारायण/ विष गर्भ तेल आदि] और थोडा पानी मिलाकर हलवे की तरह हलका पकाएं और चोट के स्थान पर बांध दें (दिन में दो बार प्रात सायं )|  कुछ दिन में ही आराम होगा|
3.    अधिक चलने,खड़े रहने आदि से पैरों में सूजन और दर्द हो तो दशांग को पानी में उबालें, जब पानी थोडा ठंडा होकर सहने योग्य हो जाये तो पैरों को इस पानी में डालकर कर बैठ जाये, और चमत्कार देखे, केवल गरम पानी की तुलना में अत्यधिक शीघ्र आराम होगा| पैरों पर दशांग लेप की पट्टी भी बांध सकते हें|  
4.    बच्चे को न्युमोनिया हो गया हो या बड़ों को ज्वर के कारण छाती में दर्द हो तो 5% घी और पानी के साथ लेप तैयार कर कपडे या लिंट पर फेला कर बाँध दें बहुत आराम मिलेगा|
5.     तेज ज्वर है तो एक पोटली में  दशांग लेप को ठन्डे पानी में चटनी की तरह पीस कर रखें, इस पोटली को सर पर हल्के से रगड़ने और लेप सहित पट्टी सिर तरह रखने से ज्वर शांत होगा, सर दर्द आदि मिट जायेगा|  
 6.  यदि किसी की आंख में सूजन हो जाये, या इन्फेक्शन आदि से लाल हो गई हो, दर्द हो तो उपरोक्त विधि से घी पानी में बने लेप को एक पोटली में भरकर आंख के ऊपर रखकर हलका हलका सेक दें, दर्द सूजन में आराम मिलेगा|
 7.   सूखे एक्जीमा में बराबर मात्र में दशांग लेप (चूर्ण) सोनागेरू गुलाब जल में चटनी जैसा पीस कर लगायें| अथवा
8.    पामा व्युची या एक्जीमा पर लेप को पानी में पीस कर 1/5 भाग गाय का घी मिलाकर मोटा-मोटा लेप कर रुई रखकर बांध दें| लाभ एक सप्ताह में|
9.   यदि एक्जीमा गीला है (उससे पानी सा आता हो) तो दशांग लेप को गो मूत्र में लगायें| रोगी भाग को गाय के मूत्र से धोना लाभकारी है| लाभ एक से दो सप्ताह में|
10.   युवाओं को मुहांसे बहत तकलीफ देते हें , दशांग लेप में पीली सरसों, मसूर दाल,और चिरोंजी बराबर मात्र में गुलाब जल के साथ पीस कर रोज लेप लगायें कुछ ही दिन में मुहांसे और उनके निशान दूर हो जावेंगे|
11.    अंड कोष का फूल जाना -किसी पुरुष या बालक के अंड कोष चोट, या रोग किसी भी कारण से फूल गए हों उनमें सूजन और दर्द हो तो दशांग लेप+ घी 10% + मेदालकड़ी चूर्ण 10% मिलकर पानी के साथ गर्म कर लेप बनाये एक एक तरफ कम सिकी गेहूं की रोटी पर फेलाकर , अंड कोष पर लपेट कर बाँध दें, प्रातः सायं बदलें कुछ ही दिन में कष्ट ठीक हो जाता है|
   हमारे कई चिकित्सक साथियों और आप में से कई ने भी इसका कई प्रकार से प्रयोग कर लाभ लिया होगा आप भी टिप्पणी के माध्यम से अवगत करावें|  
दशांग लेप विषयक कुछ स्मरण रखने योग्य   आपको दशांग लेप के बारे में प्रयोग से पूर्व कुछ जानना आवश्यक है-

1. जैसा की नाम से समझा जाता है की यह कोई चटनी जैसा होगा| एसा नहीं है, उपयोग के समय ही इसे एसा बना लिया जाता है, अन्यथा यह एक चूर्ण के रूप में ही डिब्बाबंद बाज़ार में मिलता है, और इससे लम्बे समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है| 
2. पूर्ण लाभ के लिए लेप का प्रयोग प्रतिदिन दो बार करना चाहिए क्योंकि यह शरीर की गर्मी से सुख जाता है और असरहीन हो जाता है| ओषधि असर भी शरीर द्वारा सोख लिया जा चूका होता है| यदि किसी कारण से  बदलपाना संभव न हो तो उसेके ऊपर गर्म पानी डाल कर 'नम [गीला]'  बनालेना चाहिए| 
अधिक तैल या घी आदि चिकनाई मिले लेप अधिक समय तक असरकार हो सकते हें|  
इसके समस्त घटक(द्रव्य) निम्न हैं, जो अत्तार (जड़ी बूटी बेचने वाले) के यहाँ आसानी से मिल सकतीं हैं|
दशांग लेप कैसे बनाये? 

टिप्पणिया -
1- Dr. Shashi Kant Rai   Allahabad, Boss nice presented, infact I am using it with miraculous results in inflammation and swelling.
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| आपको कोई जानकारी पसंद आती है, ऑर आप उसे अपने मित्रो को शेयर करना/ बताना चाहते है, तो आप फेस-बुक/ ट्विटर/ई मेल/ जिनके आइकान नीचे बने हें को क्लिक कर शेयर कर दें। इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "