Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

गुर्दे की पथरी

गुर्दे की पथरी

   गुर्दे की पथरियों में कैल्शियम अधिक होता है, यह प्रकृति में चूने के रूप में, व शरीर में हड्डियों के अंदर पाया जाता है। समान्यत: भोजन के साथ शरीर में पहुंचने वाला अतिरिक्त कैल्शियम (सामान्यतया 24 घंटे में 150-200 मिलीग्राम) मूत्र में निकल जाता है।

   अगर किसी कारणवश मूत्र में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाए (भोजन-पानी में खनिज और से या कुछ रोग जिनमें हड्डियाँ घुलने लगतीं हें) या मूत्र बहुत गाढ़ा हो जाये (जैसे पानी की कमी से) तो कैल्शियम के कण गुर्दे में जमा होने लगते हैं, धीरे-धीरे ये कण जुड़ कर पथरी बना लेते हैं, जो धीरे-धीरे बड़ी होती है और गुर्दे में रूकावट पैदा करती है। यदि दोनों गुर्दे में पथरी से रूकावट हो जाये तो गुर्दे फेल होने की नौबत भी आ सकती है।

   गुर्दे में पथरी होने पर कमर में दर्द होना प्रमुख लक्षण होता है। अचानक होने वाला यह बहुत तेज दर्द चमक के साथ आगे या अण्डकोष की तरफ आता महसूस होता है। अक्सर इस दर्द के साथ मचली या उलटी भी होती सकती है। कभी-कभी एसा न होकर धीमा-धीमा दर्द लगातार रह सकता है। 

   बार-बार जलन के साथ मूत्र आना, मूत्र त्याग में रूकावट महसूस होना, पथरी के मूत्र नाली से रगड़ खाने से खून आना और उससे होने वाला संक्रमण इसका सामान्य लक्षण है। 

   समान्यत: गुर्दे की छोटी पथरियां अधिक पानी पीने से या दवाओं के सेवन से निकल जाती है, पर यदि पथरी बड़ी हो जाए तो ऑपरेशन से या तरंगों द्वारा लिथोट्रिप्सी नामक नयी पद्धति से अथवा दूरबीन से पथरियां तोड़ कर बिना ऑपरेशन द्वारा निकाली जा सकतीं हें। 

   आयुर्वेदिक/ यूनानी ओषधि हजरल यहूद भस्म इन पथरियों को तोड़ने या घोलने का काम करती है, और नई जगह जमने भी नहीं देती। रोगी को गोक्षरु क्वाथ, कुलथी क्वाथ, अधिक पानी पीना (दो से ढाई लीटर कम से कम), और अन्य मूत्र बढ़ाने वाली ओषधियाँ जैसे क्षार पर्पटी आदि का सेवन किसी कुशल चिकित्सक के परामर्श से कराया जाना लाभकारी होता है। 

   पथरी एक बार किसी भी विधि से निकाल जाने के बाद दुबारा बन सकती है, इससे बचने के लिए उन खनिजों से युक्त पानी और खाध्य पदार्थ का परहेज करना जरूरी होता है। साथ ही अधिक पानी पीते रहने की आदत भी बनाना जरूरी होता है ताकि छोटे छोटे कण जो पथरी बनाते हें वे निकलते रहें। साथ ही हजरल यहूद भस्म या उससे बनी सिस्टोन(हिमालय), आदि की गोली हमेशा खाना अच्छा रहता है। 

   पालक, टमाटर, जैसे केल्शियम की अधिकता वाले पदार्थ का सेवन न करें, अंगूर व किशमिश कम से कम सेवन खाएं दूध व दही, पनीर, अंडा, मांसाहार सीमित का सेवन भी तक सीमित (कम से कम) रखना चाहिए। घी, मक्खन का प्रयोग किया जा सकता है।
=========================================================================
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| आपको कोई जानकारी पसंद आती है, ऑर आप उसे अपने मित्रो को शेयर करना/ बताना चाहते है, तो आप फेस-बुक/ ट्विटर/ई मेल/ जिनके आइकान नीचे बने हें को क्लिक कर शेयर कर दें। इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "