Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Fat-free or low fat diets lead to obesity-फेट फ्री या लो फेट डाईट बड़ा रही है वजन – नई अमरीकन शोध|

फेट फ्री या लो फेट डाईट बड़ा रही है वजन – नई अमरीकन शोध|
लीजिये अब बता रहें हें अमरीकन शोध कर्ता की फेट फ्री या लो फेट डाईट के कारण अमरीकन बच्चों में पूर्ण पोषण नहीं हो पा रहा है| लो फेट लेने से भी मोटापे की समस्या हल नहीं हो पा रही है|
न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में, डॉ दारुश मौजाफारियान जो ह्रदय विशेषज्ञ हैं, ने इसे उजागर किया है, कि नई शोध के अनुसार फेट की कमी से मोटापा बड रहा है, और फेट फ्री या लो फेट खाद्य के चलते नई पीडी की सेहत ख़राब हो रही है|

अमरीकन सरकार ने 1980 दशक में एक दिन में एक व्यक्ति के लिए अधिकतम 30% फेट की मात्र निर्धारित की थी| इसके अनुसार सेना, अस्पताल, और स्कूलों आदि में डाईट दी जा रही थी|
   वर्ष 1995 आते आते सभी तरह की खाद्य को लो फेट या फेट फ्री कर दिया गया| बाज़ार में बिकने वाले प्रोडक्ट भी फेट फ्री लाभदायक है, कहकर प्रचार किया गया| इस विश्व व्यापी प्रचार से प्रभावित होकर हमारे देश के डाक्टरों ने भी फेट फ्री या लो फेट की सलाह दी, और अधिक फेट होने का दुष्परिणाम ह्रदय रोग आदि बताये| पर रोगों की समस्या हृदय रोग आदि और भी अधिक बढता गया|
वर्ष 2000 में अमरीकन सरकार ने अमरीकन शोध के अधार पर फेट की जगह अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य खाने की सलाह दी, और कहा की 30% से कम फेट के कारण खतरनाक परिणाम हो रहे हें, और फेट की मात्रा 35% कर दी गई| परन्तु अमेरिकन खाद्य प्रशासन की अनदेखी से अब तक वही नो फेट या 30% चलती रही, और मोटापे पर अंकुश नहीं लग पाया|
समस्या बढती देखकर अब वर्ष 2015 डाईटरि एड्वाइज कमेटी ने नई गाइड लाइन देकर यह सिफारिश की है की किसी भी प्रकार की टोटल फेट की मात्रा तय नहीं की जाये| मोटापे से बचने के लये हो रहे लो या फेट फ्री फ़ूड का प्रचार न होने दिया जाये| क्योंकि शोधकर्ता वैज्ञानिको की रिसर्च अनुसार फेट का संबध रोग से नहीं है|
 देखे लिंक - गाय का घी मोटापे और रोंगों से बचाता है?
यही बात आयुर्वेद विज्ञान यह हमेशा से कहता रहा है, की फेट फ्री खाना हानि करेगा| फेट प्रत्येक उस व्यक्ति की आयु, सामर्थ्य, और क्षमता के अनुसार मिलाना चाहिए| फेट फ्री खाने से मेटाबोलिज्म ख़राब होगा, इससे भी मोटापा, डाईविटीज, आदि रोग उत्पन्न होंगे| इसी कारण आयुर्वेद में ह्रदय रोगियों की चिकित्सा में अर्जुन, त्रिफला, आदि ओषधियों से निर्मित घृत, देने का विधान है जिसे आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने न केवल नकारा वरन यह गलत फहमी भी पैदा की की इससे रोग और बड जायेगा, और हमारे देश में भी लो या फ्री फेट डाईट से मोटापे या ह्रदय रोग या मेटाबोलिक डिसआडर वाले रोग मध्यम और उच्च वर्ग में अधिक देखे जा रहे है| (इसका अर्थ यह नहीं की हाई फेट या खूब घी तेल खाने वालों को नहीं हैं|)  
हमारे सब्जी, अनाज, या कोई भी खडी जो हम खाते हें, उनमें कई एसे मिनरल्स और विटामिन्स भी होते हें, जो केवल फेट में ही घुलते हें,(जैसे विटामिन –ए, डी, आदि) इसके लिए एक निश्चित मात्रा भी होना आवश्यक है, कम होने से पूर्ण विटामिन/ मिनरल घुल कर पचने लायक नहीं बनेगे|
लो फेट और फेट फ्री डाईट के चलते हजारो लोगों को मेटाबोलिक डिस्टरवेंस पैदा होने लगे हें, इससे मोटापे पर नियंतण तो नहीं हुआ, पर कमजोर अशक्तता के कारण रोग प्रतिरोधक शक्ति नष्ट हो जाने से कई नई नई बीमारियां पैदा हो रही हैं|
यहाँ यह भी समझना जरुरी है की इसका अर्थ यह भी नहीं है की आप खूब घी तैल से तर माल खाने लगें| इसकी मात्रा का निर्धारण उसकी पाचन क्षमता, और उसके द्वारा किये जा रहे शारीरिक श्रम पर भी निर्भर है| यदि व्यक्ति की दिनचर्या अधिक परिश्रम वाली है तो फेट की मात्रा सामान्य से अधिक होगी|
हमारे देश में एक बात और ध्यान देने की है की यहाँ अधिकांश व्यक्ति शाकाहारी है| (यदि कोई कभी कभार नानवेज खाता भी है, तो भी वह शाकाहारी में ही गिना जायेगा|) इसलिए मांसाहार के साथ मिलने वाला फेट भी उसे नहीं मिलता, और केवल उपलब्ध घी तेल पर ही निर्भर रहना होता है, और वह भी न लिया जाये तो समस्या होना ही है|
फेट का निर्धारण कैसे करें?
जैसा की पूर्व में लिखा है, की मात्रा का निर्धारण व्यक्ति की पाचन क्षमता, और उसके द्वारा किये जा रहे शारीरिक श्रम पर भी निर्भर है, पर हम इसका ज्ञान कैसे करें|
आधुनिक चिकित्सक और डाईटीशयन जो डाईट के आधुनिक “अमरीकन माँडल” से ट्रेंड है, इनमें आधुनिकता से प्रभावित आयुर्वेद स्नातक भी हो सकते हें, अभी उनको भी इस बात को पुन: समझना होगा|
स्वयं अनुभव से व्यक्ति को अपनी फेट की मात्रा निर्धारित करना चाहिए| इसके लिए एक सामान्य सूत्र यह है की वह यह देखे की अधिकतम कितना घी तेल खाने के बाद उसे आलस नहीं आता| यदि खाने के बाद उसे भारीपन लगाने लगे, आँखों में नींद भरें आराम की इच्छा हो तो समझ लें की फेट अधिक हो रहा है| वह शारीर में जमा होकर मोटापा करेगा|   
चरक ने अपने आयुर्वेद ग्रंथ में पंचकर्म के अंतर्गत स्नेह-पान में इसका वर्णन किया है| आचार्य चरक ने केवल घी तेल की ही नहीं प्रयोग किये जा सकने वाले वनस्पति फेट (तेल) या पशु फेट घी, तेल(मछली) चर्बी, मज्जा आदि सभी को विस्तार से बताया है, और उसकी अधिकता या कमी के लक्षणों का वर्णन भी किया है| इस ज्ञान से निष्णात कोई आयुर्वेद चिकित्सक भी आपकी सहायता कर सकता है| 
हमने भी अपने पूर्व लेख "देसी घी बचाए मोटापे और ह्रदय रोग से ?" में इस बारे में पूर्व में लिखा है| लिंक क्लिक कर देखें| आपको विस्तार से इसकी जानकारी मिलेगी|
 लिंक-  -"देसी घी बचाए मोटापे और ह्रदय रोग से ?"
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स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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