Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

भोज्य पदार्थों [Food- product] के जी.आई [glycemic index] को जानने से होगा मोटापे, डाइबिटीज, हृदय रोग पर नियंत्रण?

जीआई या ग्लाइसेमिक इंडेक्स - अर्थात शरीर के ब्लड शुगर लेवल पर कार्बोहाइड्रेट का प्रभाव नापने का पैमाना ---  और मोटापे, या डाइबिटिज-2, आदि से बचने की राह-- 
       संतुलित आहार या बेलेंसेड डाईट में कार्बोहाइड्रेट भी महत्व-पूर्ण है| भोज्य पदार्थों या फ़ूड प्राडक्ट के सभी कार्बोहाइड्रेट भी एक समान नहीं होते| उनके रक्त (ब्लड) में सुगर(ग्लूकोज) तेजी से या धीरे धीरे आने के मान उनका शरीर प्रभाव होता है| इस मानक को ग्लाइसेमिक इंडेक्स या जी आई. कहा जाता है|
   यह खाद्य की मात्रा और उसके दो घंटे बाद रक्त में सुगर की मात्रा को सौ से विभाजित करने पर जो प्रतिशत अंक प्राप्त हो वह उस खाद्य का जी आई होगा|
   जैसे यदि किसी को 100 ग्राम खाद्य या (ग्लूकोज) दिया है तो दो घंटे बाद रक्त में मोजूद ग्लूकोज की मात्रा को 100 से गुणा करने पर जो अंक आएगा वह उस खाद्य  का ग्लाइसेमिक इंडेक्स होगा| इसकी प्रतिशत [1-100 तक] में रेटिंग दी गई है|
यह जी आई जितना कम होगा, वह उतनी ही देरी से, और कम, ब्लड सुगर (रक्त ग्लूकोज) का स्तर बनाएगा| अधिक जी आई वाले तेजी से ब्लड ग्लूकोज स्तर लायेंगे|
   कार्बोहाइड्रेट उतने ही उच्च माने जाएंगे. जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स में ऊंचे स्तर पर हो|
खाद्य पदार्थो के जी आई की जानकारी से मधुमेह -2 के रोगी, मोटापे के रोगी, या इनसे बचना की इच्छा रखने वाले लाभ उठा कर असाद्य मधुमेह (डाईविटीज) या बाद में हो सकने वाले खतरों से बचा जा सकता हें|
   सामान्य व्यक्ति भी अपने शारीरिक श्रम, या दिन या रात के भोजन में कार्बोहाइड्रेट कितना खाना यथेष्ट है, निर्णय कर सकता है| [रात के समय उच्च जीई का खाना खाने से ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है, और क्योंकि उस समय कोई शारीरिक गतिविधि नहीं होती, तो इससे शरीर में चरबी की मात्रा भी बढ़ जाती है]|
    यह भी जानने योग्य है, की एकल साधारण स्टार्ची कार्बोहाइड्रेट की तुलना में मिश्रित कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज को धीरे-धीरे लंबे समय तक रिलीज करते हैं, और इसीलिए इस के वसा के रूप में शरीर में जमा होने की संभावना कम होती है|  
उच्च ज़ी आई का दुष्प्रभाव –
भोजन में हाई जी.आई. होने के कारण ग्लूकोज का लेवल अचानक बढ़ जाता है और फिर जल्दी पचने या जलने (मेटाबोलिज्म) से, तेजी नीचे भी आ जाता है, इससे सुस्ती, या कमजोरी भी लगने लगती है| इससे  भूख भी जल्दी लगती है|
इसके विपरीत जो कार्बोहाइड्रेट जितनी कम गति से रक्त में जितने धीरे-धीरे ग्लुकोज छोड़ते हुए बहुत धीरे-धीरे टूटते हैं, उनमें उत्तरोत्तर कम जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) होता है। लोअर जीआई के खाद्य शरीर में धीरेधीरे ग्लूकोज रिलीज करते हैं, इसलिए ये अधिक समय तक सक्रिय (एक्टिव) या  ऊर्जावान रहने में मदद मिलती है| अनावश्यक फेट या चर्बी का शरीर में जमाव भी नही होता|
तेजी से ब्लड ग्लूकोज घटने बडने का अर्थ है प्राण संकट?
रक्त शर्करा के स्तर में बड़े उतार चढ़ाव का असर मधुमेह, मोटापे, आदि के रोगियों, के लिए अत्यंत प्रतिकूल परिणाम होता हैं| इससे जहाँ अचानक हायपर या हाइपो ग्लाइसीमिया (सुगर की कमी या अधिकता), से जीवन संकट में हो सकता है|  
    मोटापे से पीड़ित रोगियों और मोटापे से बचने की इच्छा करने वाले भी या मधुमेह-2 [डाइबिटिज-2] जैसे रोगियों में जिनमें इन्सुलिन कम बनता है, एसे में इस प्रकार के खाद्य या कार्बोहाइड्रेट लिया जाये जिसका जी आई कम हो अर्थात धीरे धीरे ग्लूकोज बने ताकि धीरे धीरे कम मात्र में आने वाले इन्सुलिन की सहायता से जलाता रहे और एनर्जी प्रदान करता रहे|
कम ज़ी आई वाले खाध्य की अधिकता से पेट भी भरने का अहसास तो होगा ही, साथ ही सुगर कम और धीरे बनेगी, और जितनी बनेगी उतना इन्सुलिन मिलता रहेगा, या पैदल चलने या व्यायाम आदि शारीरिक श्रम, के माध्यम से उसका सदुपयोग होता रहेगा| इससे मधुमेह का दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं होगा|
   
   अधिकतम जी आई को 100 के रूप में पूर्ण पैमाना मान कर यदि खाध्य पदार्थों का ग्लाईमेक्स इंडेक्स निर्धारित किया जाये और खाध्य की निम्न, माध्यम, और उच्च श्रेणियां, यदि जी आई की बनाई जाये तो -
खाद्यों की स्तिथि
              निम्न ज़ी. आई. 
55 और उससे कम 
लगभग सब्जियां और फल-20, सेव-39, संतरा-40, संतरे का रस-48,  [आलू, केला- 69 आम तरबूज छोड़कर], लगभग सभी अनाज और उनका दलिया {नीचे दर्ज को छोड़कर}, और उनकी रोटी, दालें, फली, छाछ-10, दूध- 33,  दही- 33, फ्रूट-ग्लूकोज (फ्रुक्टोज-)20, राजमा -29, आदि,
मध्यम ज़ी.आई.
56- से 70 के बीच
गेहूं के सभी उत्पाद जैसे मेदा, रवा, आदि, सभी कंद, बीयर आदि,  छोले 65, ब्रेड-70,परांठा-70, सोयाबीन-56, अंकुरित चना-60, सुक्रोज-59, उबले आलू, आलू, अरबी, कटहल, जिमिकंद, शकरकंद, चुकंदर, आइसक्रीम,
उच्च जी.आई.
70 से ऊपर
मकई और उनके उत्पाद (मक्के का आटा), पोलोश वाले चावल-72, पोहा-75, तले पके आलू, तरबूज, आम, केला-69, चीकू-71, अदि, ब्रेड, तले हुए सभी नाश्ते नमकीन, पूरी, कचोरी, चिप्स, आदि, शुगर, ग्लूकोज-100, मांस आदि.  उपमा-75,  घी युक्त बाजरा -71, इडली 80, शहद-87, माल्टोज- 100, पेस्ट्री केक, गुड़, गन्ना चॉकलेट
  
  इसमें एक बात ध्यान में रखने की है की जीरो (0) जी आई किसी भी खाध्य (करेला सहित) किसी का भी नही होता| करेले जैसे सब्जी का ग्लाई मेक्स इंडेक्स, आत्याधिक कम होता है|
खाद्य पदार्थ के निर्माण प्रक्रिया भी जीआई को घटा या बड़ा सकते हें,
Ø  जैसे नमक की कमी जी आई को कम कर देगा, नमक बड़ते जाने पर ज़ी आई बढता जायेगा|  
Ø  तेल, घी में तलने, पकाने बेक करने से ज़ी आई बड जायेगा| 
Ø  खाद्य में तरलता(पानी) की कमी से उच्च जी आई.
Ø  इसमें यह बात और जानने की है की यदि घी के स्थान पर मक्खन, या तेल के साथ कार्बोहाइड्रेट सामग्री को मिलाया जाये तो ज़ी आई तुलनात्मक थोडा कम रहेगा| 
जी.आई. की स्तिथि खाने की मात्रा पर भी निर्भर होती है, जैसे यूँ तो कई सब्जियों जैसे आलू और गाजर जसे पदार्थ में का जीआई अधिक होता है, पर कच्चे रूप में कम मात्रा में खाया जाने से कम की श्रेणी में आ सकता है| पर घी, तेल आदि से जी आई बहुत अधिक होता है|  
निरंतर विशेषकर रात्रि में उच्च जी.आई. का खाद्य खाते रहने वाले लोगों का वजन भी अधिक होने लगता है और मोटापे की बीमारी बन जाती है|
आप इस जानकारी के माध्यम से यदि ग्लाई मेक्स इंडेक्स के बारे में जान गए हें तो अपने भोजन को कम जीआई तक नियंत्रित कर, या नही कर सकते तो उसकी मात्रा में कमी कर, और नमक, आदि के प्रयोग को नियंत्रित् कर, आप स्वस्थ्य रह सकते हें|

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