Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

आपका शरीर आपको आवाजें लगाकर भी सचेत करता है।

      क्या आप जानते हें? -
 आपका शरीर आपको आवाजें लगाकर भी सचेत करता है।
  जिस प्रकार से किसी कार या बाइक में जब कोई विशेष आवाजें आतीं हें तो हम तुरंत मेकेनिक के पास जा पहुँचते हें, पर शरीर में आने वाली इस आवाजों जैसे खर्राटे, पेट की आवाज़े, जोड की आवाजें, साँसों की आवाजें, कानो में होने वाली आवाजें, आदि-आदि के प्रति हमारे नजरिया बड़ा लापरवाही भरा होता हें। प्रारम्भिक अवस्था में तो इन आवाजों से उसी प्रकार कोई फर्क नहीं पढ़ता जिस तरह कार या बाईक के चलते रहने पर कोई फर्क नहीं पढ़ता जब तक की पानी सिर से ऊपर न हो जाए, यानि गाड़ी बंद न पड जाए। परंतु खराब गाड़ी ठीक हो सकती है, नई आ सकती है पर शरीर का कोई रिपलेसमेंट नहीं। अत: यदि आवाजें आयें तो सावधान जरूर हो जाए, चाहे तत्काल कोई हानी नहीं भी होने वाली हो।
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  1.  खर्राटे की आवाज- सोते समय खर्राटे आना इस बात का प्रतीक है की आपका वजन बढ़ गया है। वजन बढ्ने से गले के आस पास की चर्बी की अधिकता ही गले की मेम्ब्रेन या स्वर यंत्र में हवा के आने जाने के समय अवरोध होने से ये आवाजें आतीं हें। यह एक प्रकार का एलार्म भी है अब सावधान हो जाएँ नहीं तो -----?
  2. पेट की आवाजें -अक्सर कई व्यक्तियों के पेट से डकार या गुडगुड़ाहट की आवाज आतीं रहती हें। साधारणत: एसा होना कोई विशेष गंभीर बात नहीं एसा गेस के आने जाने से होता हे, खाली पेट आवाज कुछ खाने से ठीक हो जाती हे, अधिक खा लेने से डकारे आतीं हें यदि वे खट्टी हों तो अपने अधिक खा लिया हे लगातार एसा होने से डाइजेशन खराब होगा सावधान रहें। नीबू पानी एसी सभी आवाजों का एक अचूक इलाज है। 
  3. जोड़ों की आवाजें - अक्सर हम अपनी अंगुलिया को कभी कभी मोड़ते हें तो वे चटकने की आवाज करती हें इससे अच्छा लगता है, लगता है की जकड़न दूर हो गई। इससे कोई फर्क पड़ता भी नहीं। आवाजें होने का कारण जोड़ के मोड़ने पर बना हवा का बुलबुला फूटते ही आवाज का होना है। 
        इसी प्रकार से कभी कभी किसी किसी के चलने या सीडी उतरने चड़ने पर चट-चट की आवाजें आतीं हें। एसा अधिकतर घुटने के जोढ़ में अस्थियों के टकराने और बुलबुले के फूटने के कारण होती है। जो साधारणत: कोई विशेष बात नही होती। जोड़ों में एक प्रकार की मेम्ब्रेन, या जैल होती है, जो मूवमेंट्स के समय घर्षण या घिसने से बचाती है। साथ ही लिगामेंट्स या रस्सी जैसी रचनाएँ भी होती हें, जो घुटने या किसी भी जोड़ और मांस-पेशियों को एक साथ बांधकर रखने का काम करती हें। जब जैल कम हो जाए तब हड्डियाँ आपस में टकराने लगती हें इसीसे आवाजें होती हें। इसका अर्थ हें की वह व्यक्ति अपने आहार में संतुलन बना नहीं पा रहा है, ताकि आवश्यक पोषण मिलते रहने से जैल, मेम्ब्रेन, लिगामेंट्स मांस-पेशी आदि की भरपाई होती रहे। प्रारम्भ में इससे कोई हानी नहीं होती पर भविष्य के लिए यह आवाजें भी खतरे की घंटी है जो आगाह कर रही है। यदि यह स्थिति बदती रही तो वजन उठाने वाले, या मूड कर हमारा काम करने वाले जोड़ धीरे धीरे कमजोर होते चले जाएंगे। 
4. कान में आवाजें- कभी कभी कान में एकाएक हवा जेसी संसनाहट, सुनाई देने लगती है, एसा वातावरण में हवा के दवाव कम हो जाने से (जैसा हवाई जहाज में सफर के दौरान होता है,) होता है परंतु हमेशा हवा का दवाव कम हो जरूरी नहीं। रक्त चाप के कारण भी एसा हो सकता है। 
  कभी कभी कान में अपने आप शोर होना, सीटी बजने जैसी आवाजें आना, या सोते जागते हर वक्त व्यक्ति को अपने कानों पर सुनाई देना यह कान के नर्वस की खराबी से होता है। एसा कान में फंगल इन्फेक्शन (फफूंद संक्रमण) आदि के कारणो से जब श्रवण यंत्र की कार्टिलेज खराब होने से होता है। इससे स्थायी बहरापन पैदा हो सकता है।
 टिनिटस कान बजने को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की भाषा में टिनीटिस कहा जाता है। बाहरी तौर पर इसका कोई लक्षण नहीं दिखता है। एसा बी पी के बढ़ने, शूगर, बुखार या सर्दी जुकाम के कारण अथवा बिना इन रोग के भी हो भी होता है। 
  बी.पी., शुगर नार्मल हो, व्यक्ति स्वस्थ हो, तब यह कान का बजना नर्वस प्राब्लम के कारण ही होता है। यह कान के बाहरी भाग में चोट लगने के कारण नहीं होता किन्तु कान के समीप लाउडस्पीकर की लगातार तेज आवाज के कारण कान में ऐसी समस्या हो सकती है जिसे ध्वनि ट्यूमर कहा जाता है।
5. जबड़े की आवाज-  कई लोगों के मुंह खोलने बंद करने पर जबड़े की जोड़ की हड्डी में से भी टक-टक की आवाज आती है। यह ऊपर और नीचे के जबड़े के जोड़ के थोड़ा बहुत खिसक जाने जैसी समस्या के कारण भी होता है। एसा अधिकतर बहुत देर तक गन्ना(ईख) चूसने या चने जैसी सूखी चीज लगातार बहुत देर तक चबाते रहने के कारण लिगामेंट आदि में होने वाले घर्षण या सूजन आदि कारणो से होता है, सामान्यत: यह स्वयं ठीक भी हो जाता है। परंतु यदि कई दिन तक यह स्थिति बनी रहे तो स्थायी समस्या का कारण भी हो सकता है, कभी कभी चबाने वाले दांतों के घिस जाने से जबड़े अधिक पास रहते हें, इससे अलाइनमेंट बिगड़ जाने से भी इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाते है। इसके लिए तुरंत अपने दांतों के चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।    
6. नाक की आवाज - सर्दी, जुकाम, खांसी, श्वास, साइनोसिटिस आदि रोगों में बार नाक से हल्की सीटी बजने की आवाज अवश्य सुनी होगी। पर बिना किसी रोग के भी एसा कभी कभी होता है। यह नाक में स्पेस की कमी के कारण होता है। कम स्पेस में जब सांस लेते समय एयर पास होती है तो सीटी बजने की आवाज आती है।
      रोग होने पर तो सभी इसकी चिकित्सा करवा ही लेते हें । परंतु बिना कारण आवाजें होना मानना खतरनाक है। नाक की नरम अस्थि (कार्टिलेज) में में विक्राति, या अन्य अवरोध का सतत रहना किसी बड़े रोग का बुलावा हो सकता है।

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स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
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