Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

आंखों को रखें कैसे ग्लूकोमा से दूर?

आंखों को रखें कैसे ग्लूकोमा से दूर

विश्व ग्लूकोमा वीक 09 मार्च से 15 मार्च

नई दिल्ली: वर्ल्ड ग्लूकोमा पेशेंट एसोसिएशन के अनुसार दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष ग्लूकोमा से पूरी दुनिया में प्रभावित होने वाले लगभग 68 प्रतिशत संख्या भारतियों की है. दुर्भाग्यपूर्ण आंकड़ा यह है कि प्रत्येक वर्ष 1.2 लाख भारतीय हर साल इस बीमारी से अंधे हो रहे है. ग्लूकोमा को दृष्टि का खामोश चोर इस लिए कहा जाता है कि व्यक्ति को इसका पता जब लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. अक्सर ही इसका शिकार होने वालों की दृष्टि को बचाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए लोगों की जानकारी बढ़ाने व उन्हें हमेशा अपने आंखों के प्रति सतर्क रहने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष मार्च के महिने के सप्ताह में मनाया जाता है. वर्ष 2014 में इस काला मोतिया सप्ताह का विषय रखा गया है - बिग (बीट इनविजिवल ग्लूकोमा).

नई दिल्ली के सफदरजंग एंक्लेव स्थित सेंटर फॉर साइट के सीनियर कंसल्टेंट ग्लूकोमा एंड केटरेक्ट के डॉ हर्ष कुमार का कहना है कि ग्लूकोमा दृष्टि संबंधी एक शांत हत्यारे कि तरह होता है और जो अंधेपन का सबसे बड़ा मुख्य कारण है. इसके कभी भी किसी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते. आंख की पौष्टिकता और आकार उत्पादन और तरल पदार्थ की निकासी पर निर्भर करती है इसे एक्यूअस हयूमर के नाम से जाना जाता है. 
डॉ हर्ष कुमार ने बताया इस सप्ताह के माध्यम से काला मोतिया के बारे में अधिक से अधिक जागरुकता पैदा करने और लोगों में इसके प्रति जानकारी बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. हैरतअंगेज बात तो यह है कि अंधेपन का दूसरा कारण काला मोतिया है. इसमें सबसे बड़ी चुनौती तो यह होती है कि इसके लक्षण तभी उभरते हैं जब मरीज अपनी अधिकतर दृष्टि खो चुका होता है. ग्लूकोमा की शुरुआती पहचान के लिए तीन तरह की जांच प्रक्रिया होती है. टोनोमीटर द्वारा नेत्र दबाव की माप, ऑष्टिक डिस्क, नेत्र बिम्ब परीक्षण, दृष्टि के बाहरी क्षेत्र की जांच के लिए विजुअल फील्ड्स.
उनका कहना है कि ग्लूकोमा को रोकने का एकमात्र रास्ता शुरुआती स्तर पर इसकी पहचान है. अपने वार्षिक चेक-अप की सूची में निरोधात्मक नेत्र परीक्षण को भी शामिल कीजिए. नेत्र दबाव में तेजी से वृद्धि के परिणामस्परुप होने वाले गंभीर ग्लूकोमा की स्थिति में जो कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, थियेटर जैसे अंधकारमय जगह पर देखने में असहजता. आंखों के नंबर में जल्दी-जल्दी बदलाव, आंखों की बाहरी दृष्टि का कम होना, सिरदर्द, आंखों में कुछ भाग से दिखाई न देना. प्रकाश के आसपास इंद्रधनुषी छवि दिखना, आंखों में तेज दर्द, वमन व जी मचलना, दृष्टि पटल पर अंधेरे क्षेत्रों का एहसास, आंखों और चेहरे का तेज दर्द, आंखों की लाली, प्रकाश के चारों तरफ चमक के साथ धुंधुली दृष्टि, मितली और उल्टी.
इसके उपचार के अंतर्गत लेसरों द्वारा चिकित्सा प्रबंधन, शल्य चिकित्सा प्रबंधन किया जाता हैं. मेडिकल प्रबंधन आई ड्रॉप के साथ किया जाता है. सर्जिकल प्रबंधन के अंतर्गत वे प्रक्रिया की जाती है जहां एक ऐसा ओपन एरिया बनाया जाता है जिसमें आंख के तरल पदार्थ के लिए नया जल निकासी मार्ग बनाया जाता है. लेजरों द्वारा प्रबंधन के अंतर्गत जो प्रक्रिया की जाती है वे प्रक्रिया है ट्रेबेकुलॉप्लास्टि, इसमें लेजर का उपयोग ट्रेबेकुलर के जल निकासी क्षेत्र को खोलने के लिए किया जाता है, इरीडोटोमी में इरीज में एक छोटा सा छेद बनाते है, जिससे बहाव आसानी से हो सके. लगातार निगरानी, नियमित जांच अपनी प्रारंभिक अवस्था में बीमारी का पता लगाने में मदद कर सकते हैं. मोतियाबिंद को अपने जीवन को सीमित मत करने दे. मोतियाबिंद के इलाज के बाद आप अपनी पहले की तरह जीवन जी सकते है. आप नई योजनाओं को बनाने और नए उद्योग शुरू कर सकते. अपनी दवाइयां बिल्कुल समय पर लें. आप सही ड्रॉप सही आंख में सही समय पर और सही तरीके से डाले.ं कोशिश करें कि रोजाना दवा लेने के लिए ऐसा समय निर्धारित करें जैसे जागने, खाने और सोने के आसपास का समय. खाली पेट सुबह बड़ी मात्रा में अधिक पानी पीना बंद कर देना चाहिए. इस आदत से अस्थायी रूप से इंट्रा ओक्यूजरप्रेशर बढ़ जाती है.
यह एक ऐसी बीमारी है जिसके एक बार उभरने के बाद इसे पूरी तरह से ठीक कर पाना तो संभव नहीं है, लेकिन अगर ऐहतियात का पालन किया जाए तो इससे होने वाले अंधेपन की रोकथाम अवश्य ही संभव है. इस समस्या से बचने के लिए जीवनभर देखभाल की जरूरत होती है. सभी लोग जो कि 40 की उम्र पार कर चुके हैं, या जो लोग दिए गए लक्षणों में से किसी भी लक्षण से परेशान हों तो अपनी आंखों की नियमित जांच अवश्य कराएं. आंखों का खास ख्याल रखना आप के स्वयं की जिम्मेदारी है. याद रखिए स्वस्थ आंखें स्वस्थ मन का आइना होती हैं.

Umesh Kumar Singh 

Manager 

Sampreshan News Serivce (P) LTD  & Raibareli Sandesh National Hindi Magazine  
09953807842 
011-40817507

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