Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

क्या प्रेत और पिशाच होते हें?

      क्या प्रेत और पिशाच होते हें?
डॉ मधु सूदन व्यास 
अक्सर हम अपने घर या किसी स्थान पर अकेला महसूस करते हें, पर क्या वास्तव में अकेले होते हें? कोई दिखने वाला मनुष्य/प्राणी आस पास  न भी हो तो भी हम अकेले नहीं होते! इस प्रश्न का उत्तर भी अलग अलग हो सकता हे। जेसे परमात्मा हर जगह हे?/ भुत प्रेत आत्माए भी आस पास हें? पर भोतिक वादी द्रष्टिकोण से सोचें  तो कहेंगे यह गलत हें । इनका कोई भी अस्तित्व नहीं होता। पर क्या वास्तव में एसा हे?
एक चिकित्सक के रूप में मेरा इस लेख को लिखना कुछ आश्चर्य जनक प्रतीत हो सकता हे । पर मेरा ही नहीं अब तो विज्ञानं ने भी यह सिद्ध कर दिया हे की हम कहीं पर भी अकेले नहीं हो सकते। हमारे आस पास देव दानव,प्रेत पिशाच,भूत अदि सभी कुछ हें। और ये हमारे स्वस्थ्य / रोगों से भी सम्बन्ध रखते हें।  इस बात को सिद्ध करने के लिए मुझे आपसे कुछ भी तर्क न देकर आपसे यही कहूँगा की आप स्वयं पड़ कर निर्णय करें।

हमारे आसपास हर वक्त अच्छी  और बुरी दोनों प्रकार की ताकतें रहती हें।  बुरी जहाँ हानी पहुचती हें वही अच्छी हमको इन बुरी ताकतों से बचाती   हें। इसे समझने के लिए हमको पाहिले बुरी शक्तियों  के बारे में जानना होगा तभी हम अच्छी ताकतों के बारे में समझ पाएंगे। एक एक कर सभी के बारे में थोडा थोडा निम्न हे।
 लगभग सभी दर्शन ग्रंथो, और धर्मो में माना हे की पिशाच रक्त पान वाले होते हें । इनमे से कई को हमने देखा भी हे, जेसे खटमल,मच्छर, जूं, पर बहुत सारे ऐसे भी हें जिन्हें हम देख ही नहीं पाते। 
हम जब रात को बिस्तर पर सोते हें तब प्रति क्षण हमारी त्वचा खिरती रहती हे, होता यह हे की नई त्वचा उत्पन्न होती रहती हे पुरानी निकलती रहती हे , इस निकल कर गिरे हुए त्वचा के अंशों को जिन्हें हम अपनी आँखों से नहीं देख पाते(पर इलेक्ट्रिक माइक्रोस्कोप से देखे जा सकते हे) को खाने के लिए करोड़ों की संख्या में छोटे जीवाणु भी आ जाते हें। प्रकृति के सिधान्तो के अनुसार उन्हें भी खाने वाले अति सूक्षम परजीवी भी उत्पन्न हो जाते हें। जो उन्हें खाने  के साथ शारीर की त्वचा और रक्त को भी चूसने लगते हें। इन्हें प्रतिदिन शरीर से अलग करने के लिए हमको नहाना शरीर को साफ करना जरुरी होता हे (अन्यथा खुजली एक्जीमा, आदि त्वचा रोग हो सकता हें।) इस प्रकार हम करोड़ों जीवो पर जीवियों आदि के साथ रात भर रहते हें। इन सूक्षम प्राणियों की उपस्थिति विशेष गंध के द्वारा भी पहिचानी जा सकती हे। यह गंध विशेष व्यक्ति के शरीर , चादर तकिये या बिस्तर में भी महसूस की जा सकती हे। 
ये सभी रक्त, त्वचा और शरीर भागों को खाने पीने से पिशाच ही तो हें।
 भूत-प्रेत  के बारे में जो धारणा हे वह यह हे की जो मर चुकें हें वे हें या दिखाई दिए बिना हानी पहुचने वाले आत्माएं हे। आत्मा हम प्रणियों को जीवन देने वाली शक्ति के रूप में जानते हें भूत का अर्थ जो बीत चुके या पूर्व काल के न दिख सकने वाले ? इस विचार से असंख्य जीवाणु ,विषाणु,जिन्हें आज सूक्षम दर्शी यंत्रो की मदद से देखा जा चूका हे हमारे एक दो फुट के आसपास ही करोडो की संख्या में उपस्थित हो सकते हें । बस में ट्रेन  में या कही भी किसी के छीकने, खासने, से उड़कर हमारे मुह नाक के रस्ते करोड़ों की संख्या में शरीर में प्रवेश पा जाते हें। या हमारे किसी भी वस्तु ,जेसे बस ट्रेन की सीट, रोड,खिड़की,दरवाजा,  या उनसे जिनसे हम अनजाने ही प्रतिदिन न जाने कितनी  बार स्पर्श करते हें, हाथो की अँगुलियों के साथ  आकार हमारी त्वचा नाक आंख,मुह, के रस्ते अन्दर आ ही जाते हें।
 यही नहीं जरा कल्पना  कीजिये की मक्खी  जेसे जीव जो  गंदगी पर बैठते हें और फिर  उड़ कर मिठाई ,खाद्य   सामग्रियों आदि  पर बैठते हें, उनके पेरों में चिपके ये लाखों करोड़ों की संख्या में चिपके यह जीव् या भूत , खाद्य   सामग्री पर भी पहुच जाते हें , और शायद यह बात कम लोग जानते हें की मक्खी जिस भी पदार्थ पर बैठती हे, वहां  अपनी लार की एक छोटी बूंद  रखती हे ताकि उसके एंजाइम उस खाद्य को मक्खी को  पच सकने और खाने योग्य बना सके उसी तरह जेसे हमारी लार चबाते समय भोजन से मिलकर पचने योग्य बना देती हे। इस लार में भी लाखों की संख्या में जीवाणु पाए जाते हें। और जब वह सामग्री हमारे द्वारा खा ली जाती  हे तो ये कितनी बड़ी संख्या में हमारे शरीर में प्रवेश पा जाते हें। 

कई बार महिलाएं अपने हैंड बैग में रखी चीजों से जूझती नजर आती हैं। उनके हैंड बैग में तमाम जरूरी व गैर-जरूरी सामान भरा पड़ा होता है। और इस सामान के साथ ही होते हैं प्रेत ओर पिशाचो की तरह उपस्थित कई खतरनाक बैक्‍टीरिया भी।
 शोध में पाया गया है कि लेडीज हैंड बैग में भी कई बार औसत टॉयलेट से ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। 

किसी भी महिला के पर्स में कौन सा ऐसा सामान है, जो नही होता। टॉयलेट पेपर, फेसवॉश, लिपिस्टिक, क्रीम, काजल, आईलाइनर, परफ्यूम, रूमाल, दवाएं, क्रेडिट और एटीएम कार्डस, मोबाइल फोन हैंडसेट, वॉलेट, टिकट, चाबियां, टैबलेट, लंच बॉक्स और कई बार फल और नट्स, ओर फिर महिलाएं उनके लिए दिन में कई बार अपने हाथ विना साफ किए पर्स में डालती रहतीं हें, इस प्रकार बाहरी वातावरण के ये प्रेत आते जाते रहते हें। 
कुछ रक्त पान करने वाले पिशाच जो परजीवी जेसे थ्रेड वोर्म जिन्हें सामान्य भाषा  में चिनुमुने, एस्केरिस या टेप वोर्म जेसे दो दो तीन तीन फिट से भी अधिक  लम्बे हो सकते हे कब शरीर में प्रवेश करके हमारे साथ वर्षों तक रह रहे  हें और परिवार बढ़ाते  रहते हे को हम केसे भूल जाएँ  की वे भी तो हमारे पास रहने वाले प्राणी हें।जो पानी खाने पीने,की सामग्रियों या शरीर के किसी भी भाग से कब प्रवेश पा गए  हम नहीं जानते।
 इन करोडो भूत प्रेत पिशाचो के बीच रह कर भी आखिर हम केसे स्वस्थ रहते हें यह विचार भी करना ही होगा। कुछ भाई कह सकते हें की वे पूरी तरह से स्वस्थ ओर कीटाणु/जीवाणु रहित स्थानों पर ही रहते/आते/जाते हें इस लिए वे उनसे दूर हें। यह सोचना भूल हे सच यही हे की हम कही भी कितने ही अच्छे दिखने वाले माहोल या स्थान पर रहें हम इनसे घिरे ही रहते हें।
वास्तव में ये सव भी हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गए हें, सारा प्राक्रतिक संतुलन इस एक दुसरे को लाभ हानी देकर एक दुसरे को साथ देने के लिए ही बना हे। पर इनमे भी  जंगल कानून अनुसार जो भी शक्ति शाली होगा वह जीवित रहेगा का आधार  ही लागु होता हे । यह हमारे शरीर की विलक्षणता होती हे इसको ही रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कहते हे। 
यही विलक्षणता हमको इन असख्य भूत प्रेतों पिशाचो पर जीवियों से बचाती हे। यह विलक्षणता ही "देव" शक्ति हे। इसी के आधार पर असंख्यों  ऐसे जीवाणु हमारे शरीर में हमारे रक्षक बन कर रहते हें और इन प्रेत पिशाचो को खाकर नष्ट कर हमको रोगों से बचाए रखते हें।ये ही सब देवी देवता, खुदा मसीह नहीं तो और कोन हें  यही तो हें वे अच्छी शक्ति या खुदाई ताकते जिन्हें हम या सारे धर्म दर्शन परमात्मा भी  कहते हे हमारे अन्दर ही निवास करते हें।ये ही शक्ति बाहरी टीके,वेक्सिन आदि से भी मिल सकती हे। इसी के कारण हम आज चेचक  हेजा, प्लेग आदि,के पिशाचो ,राक्षसों से मुक्त हुए हें।
इन्ही देव शक्तियों की सशक्त बनाये रखने सभी धर्मो में प्रतिदिन नहा धोकर स्वच्छ  होकर जीवन यापन करने स्वच्छ भोग( भोजन) लेने मंदिर मस्जिद जेसे स्वच्छ वातावरण में रहने की कल्पना की गई हे।
एक चिकित्सक या चिन्तक  के नाते में यही कहना चाहता हूँ की हम किसी भी समय कहीं पर भी अकेले नहीं हें हमारे साथ होती हें करोडो की संख्या में एक कोशीय जीवो(आत्माओं) जिनमे देव भी हें दानव और पिशाच  भी , हमको चाहिए की देव या रक्षक आत्माओं को सशक्त बनाये , संतुलित और अच्छे आहार विहार स्वछता, देवीय वतावरण बनाकर। इससे हम अपना और अपने परिवार को सुखी निरोगी और बल शाली बांये रखने में सफल होंगे। और असुरी शक्तियाँ प्रेत ,पिशाच आसपास होते हुए भी कुछ भी  बिगाड नहीं पाएंगी।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

कोई टिप्पणी नहीं:

आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "